स्वच्छता के नाम पर खर्च कर दिए लाखों, नतीजा सिफर मामला एनसीएल अमलोरी परियोजना का सीएसआर विभाग की भूमिका संदिग्ध

स्वच्छता के नाम पर खर्च कर दिए लाखों, नतीजा सिफर


मामला एनसीएल अमलोरी परियोजना का


सीएसआर विभाग की भूमिका संदिग्ध


 विराट वसुंधरा सिंगरौली ब्यूरो रिपोर्ट, अवनीश तिवारी
सिंगरौली-: स्वच्छता को लेकर जहां एक ओर भारत सरकार के निर्देशानुसार देश की सभी प्रदेश सरकारें बेहद संजीदगी बरतते हुए प्रदेशस्तर पर प्रधानमंत्री की इस संवेदनशील योजना का क्रियान्वयन करने में लगे हुए हैं वही जिला स्तर पर कई जगहों में देखने को मिल रहा है कि इस स्वच्छता मिशन को कुछ निजी स्वार्थपरक लोगों के द्वारा महज अपनी कमाई का जरिया बना कर रख दिया गया है, ऐसा मामला सिंगरौली जिले में कोयला खनन के कार्य में कार्यरत एनसीएल अम्लोरी परियोजना के सीएसआर विभाग मे देखने को मिल रहा है|


गौरतलब हो कि जिला मुख्यालय बैढ़न से महज कुछ दूरी पर स्थित कोयला खनन का कार्य कर रही एनसीएल की अमलोरी परियोजना जिला स्तर पर भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना *स्वच्छ भारत* को पलीता लगा रही है, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना को  धरातल पर अंजाम देने के लिए एनसीएल अम्लोरी के परियोजना प्रमुख ने इसकी जिम्मेदारी सीएसआर विभाग को दे रखी है लेकिन सीएसआर विभाग में पदस्थ सीएसआर प्रमुख को शायद धरातल पर कार्य करना पसंद ही नहीं है उन्हें तो कार्यों को धरातल पर अंजाम देने के बजाय सोशल मीडिया पर अपलोड कर वाहवाही लेने में ज्यादा भरोसा है शायद इसीलिए जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है, यहां यदि आप आसपास के क्षेत्रों को छोड़कर स्वयं अमलोरी परियोजना के रिहायशी इलाके का दौरा करेंगे तो यह स्थिति स्पष्ट हो जाएगी की विगत 2 वर्षों से कंपनी द्वारा स्वच्छता अभियान के नाम पर किए जा रहे कार्यों की सत्यता क्या है. कैसे यहां के संबंधित अधिकारी अपने स्वार्थ परक सोच के चलते धरातल के विकास कार्यों में बाधक बने|
यह बताना आवश्यक है कि एनसीएलअम्लोरी परियोजना का सीएसआर बजट लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में है जिसे महीना दर महीना स्वच्छता के नाम पर खर्च किया जाता रहा है लेकिन इसका उपयोग कहां हुआ है यदि आप परियोजना क्षेत्र का दौरा करेंगे तो वहां व्याप्त गंदगी आपको स्थितियां स्पष्ट कर देंगी||


परियोजना प्रमुख से जांच की मांग
परियोजना से संबंधित लोगों ने परियोजना प्रमुख जेपी द्विवेदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है लोगों का कहना है कि यदि परियोजना प्रमुख ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे को दरकिनार करेंगे तो परियोजना में रह रहे एवं परियोजना से प्रभावित लोगों का क्या होगा